Thursday, 28 February 2019

शब्द खफा है मुझसे


उन कहे लफ़्ज़ों का इंतज़ार है
खुशनुमा सा अहसास है,
 फिर भी कंठ तेरे लिए बेताब है 
क्यूंकि शब्द खफा है मझसे 

व्यक्त करने है अनेक
पर अपनी बातों को समेट 
यही  मन मुघ्द होके बैठा हूँ
क्यूंकि शब्द खफा है मुझसे

तुझे खुद पे अहंकार  है
पर मेरी  सोच तेरे बिन निराकार  है
अब चिंतन करना भी निरर्थक है 
क्यूंकि शब्द खफा है मुझसे

 है तो अहसासों का सागर भीतर
फिर भी कविताओं का प्याला सूखा है
क्यूंकि शब्द खफा है मुझसे






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