तेरी साँसों की सिसकियों मे हूँ मैं
तेरी हर नज़ाकत की झलक में हूँ मैं
तू उदासी की चादर ओढ़ मत बैठ
तू ना समझ की तुझसे दूर हूँ मैं
तेरी लिखी हुई हर शब्द की लिखावट में हूँ मैं
तेरे हर मुस्कान के पीछे छुपी सुगबुहाट में हूँ मैं
वादा है तुझसे,खड़ा हूँ ज़िन्दगी भर तेरी जान बनके
तू ना समझ की तुझसे दूर हूँ मैं
मेरी हर कदम की ताक़त हो तुम
मेरी ज़िन्दगी की हर मकसद की मंज़िल हो तुम
हम दोनों की एक अच्छे भविष्य की ज़रुरत
मेरे आज की जीने का जरिया हो तुम
मेरी हर कविता का सारांश हो तुम
मेरे हर विजय का मंच हो तुम
ऐ मेरी सांस जान और मान मत जाने दे मुझे
मुझे समझा की मुझसे दूर नहीं हो तुम
No comments:
Post a Comment