Sunday, 3 November 2019


तेरी साँसों की सिसकियों मे हूँ मैं 
तेरी हर नज़ाकत की झलक में हूँ मैं 
तू उदासी की चादर ओढ़ मत बैठ 
तू ना समझ की तुझसे दूर हूँ मैं 

तेरी लिखी हुई हर शब्द की लिखावट में हूँ मैं 
तेरे हर मुस्कान के पीछे छुपी सुगबुहाट में हूँ मैं 
वादा है तुझसे,खड़ा हूँ ज़िन्दगी भर तेरी जान बनके 
तू ना समझ की तुझसे दूर हूँ मैं 

मेरी हर कदम की ताक़त हो तुम 
मेरी ज़िन्दगी की हर मकसद की मंज़िल हो तुम 
हम दोनों की एक अच्छे भविष्य की ज़रुरत 
मेरे आज की जीने का जरिया हो तुम 

मेरी हर कविता का सारांश हो तुम 
मेरे हर विजय का मंच हो तुम 
ऐ मेरी  सांस जान और मान मत जाने दे मुझे  
मुझे समझा की मुझसे दूर नहीं हो तुम 




No comments:

Post a Comment